जम्मू। राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित एक व्यापक अध्ययन में डाच्छीगाम राष्ट्रीय उद्यान के जलग्रहण क्षेत्र के भीतर कश्मीर की प्रसिद्ध डल झील और अन्य जल निकायों के आकार में महत्वपूर्ण कमी के बारे में चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं।
अध्ययन में डल झील और आस-पास के जल निकायों के आकार में लगभग 50 परसेंट की कमी पर प्रकाश डाला गया है। प्रतिष्ठित डल झील, जो कभी 19.82 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करती थी, अब घटकर मात्र 10.4 वर्ग किलोमीटर रह गई है, जिससे इस क्षेत्र पर दीर्घकालिक पारिस्थितिक प्रभाव के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं।
जल निकायों का घटता आकार डल झील से आगे तक फैला हुआ है, जिसमें डाच्छीगाम राष्ट्रीय उद्यान के जलग्रहण क्षेत्र के भीतर अन्य महत्वपूर्ण जल जलाशय शामिल हैं। इन जल निकायों का सामूहिक संकुचन क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र के नाजुक संतुलन के लिए खतरा पैदा करता है।
इस अध्ययन को करने वाले अधिकारियों के मुताबिक डल झील का आकार 1980 से 2018 के बीच पिछले 38 वर्षों में 25 फीसदी तक घट गया है। इतना ही नहीं यह झील बढ़ते प्रदूषण, अतिक्रमण जैसे खतरों का भी सामना कर रही है। साथ ही इसके जलग्रहण क्षेत्र में डाले जा रहे सीवेज और कचरे के कारण झील के पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ा है। इसकी वजह से पानी की पारदर्शिता में 70 फीसदी की कमी आई है।
पर्यावरणविद् क्षेत्र के जल निकायों की सुरक्षा में सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता के महत्व पर जोर देते हैं। वे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने, जिम्मेदार भूमि-उपयोग प्रथाओं को अपनाने और कश्मीर के जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के दीर्घकालिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए स्थायी जल प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान करते हैं।
जैसा कि अध्ययन के निष्कर्षों ने डल झील और आसपास के जल निकायों के आकार में चिंताजनक कमी पर प्रकाश डाला है, यह सरकार और समुदाय दोनों के लिए क्षेत्र की पर्यावरणीय विरासत को संरक्षित करने में सहयोगात्मक रूप से काम करने के लिए एक महत्वपूर्ण आह्वान के रूप में कार्य करता है।
वर्ष 1931 में 35 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैली विश्व प्रसिद्ध डल झील अब सिकुड़ कर 10.4 वर्ग किमी रह गई है। हालांकि कई पर्यावरणविदों का कहना है कि 1891 में इसका क्षेत्रफल 50 वर्ग किमी के लगभग था और 1992 में यह 19.5 वर्ग किमी रह गई थी। अर्थात् 1891 से लेकर 1992 तक के एक सौ साल के सफर के दौरान डल झील मात्र 31 वर्ग किमी सिकुड़ गई थी तो अब छह सालों के अंतराल के दौरान यह दस वर्ग किमी कम हो गई है।
प्रति वर्ष झील एक वर्ग किमी के हिसाब से सिकुड़ रही है। डल झील जिस तेजी से सिकुड़ती जा रही है। चेतावनी अब यह दी जा रही है कि मानवीय तथा प्राकृतिक कारणों के चलते यह एक तालाब में बदल जाएगी।
Edited by : Nrapendra Gupta