श्रीकृष्ण ने पढ़ा था महाकालेश्वर का सहस्त्रनाम स्तोत्र
भगवान श्रीकृष्ण ने आश्रम छोड़ने से पूर्व महाकालेश्वर का माहात्म्य जानने की उत्सुकता प्रकट की थी, समस्त शिष्यों को साथ लेकर गुरु सांदीपनि महाकालेश्वर पहुंचे और वहां महाकालेश्वर के सहस्त्रनाम लेकर बिल्वपत्र द्वारा अर्चना की थी। ये सहस्त्रनाम सांदीपनि वंश में विद्यमान है। इसमें 177 श्लोक हैं। पुस्तक के प्रारंभ में यह श्लोक हैं।संदीपस्यांतिकेवंत्यां गतौतौ पठनार्थिनी।चतुः षष्टिकलाः सर्वाः कृतविद्याश्चतुर्दश (3)अथकैदाहं श्रीकृष्णः सुदामोः द्विजस्रतमः।महाकालेश्वरं विल्वकेन मंत्रेण चार्पणम,करोमि वद में कृष्ण कृपया सात्वतां पते।