रामचरित मानस में तुलसीदासजी ने कहा है- 'कर्म प्रधान विश्व करि राखा, जो जस करहिं सो तस फल चाखा।' अर्थात जो व्यक्ति जिस तरह का कर्म करता है, उसे फल भी उसी के अनुरूप मिलता है। योगेश्वर कृष्ण ने भी गीता में कर्म को प्रधान बताया है। ...लेकिन जीवन में प्रार्थना का भी उतना ही महत्व है। इससे जीवन में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं साथ ही इससे जीवन में बदलाव भी आता है।
कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व जन्माष्टमी का तंत्र-मंत्र की दृष्टि से काफी महत्व है। जिस प्रकार तंत्रशास्त्र में दिवाली, होली, शिवरात्रि, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण आदि का महत्व है, उसी प्रकार जन्माष्टमी की अहमियत है। इस दिन की गई साधना और मंत्र जप से विशेष लाभ होता है।
संतान प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप करें... पढ़ें अगले पेज पर...
श्रीकृष्ण के लीला स्वरूप में लड्डू गोपाल सबसे प्रिय रूप है। नि:संतान महिलाओं को लड्डू गोपाल के मंत्र का जाप, ध्यान और पूजन करना चाहिए।
श्रीकृष्ण का एकाक्षरी मंत्र 'क्लीं' है। इसका संकल्पपूर्वक 12 लाख बार जप करना चाहिए।
देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।
ध्यान : इस मंत्र का जाप करें तथा अर्जुन के साथ रथ पर विराजमान योगेश्वर कृष्ण और समुद्र में प्रविष्ट होकर वहां से पुत्र को लाकर ब्राह्मण पिता को सौंपते हुए भगवान वासुदेव का ध्यान करें।
मंत्र के एक लाख जप करने के पश्चात घी, शहद और शक्कर की 10000 आहूति दें, तर्पण-मार्जन के साथ ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। इससे अपनी मनोकामना पूर्ण की जा सकती है।
इस मंत्र के जाप से दूर होती है अशांति... पढ़ें अगले पेज पर....
जिन्हें अशांति या अन्य कोई मानसिक समस्या हो अथवा मोक्ष की कामना हो उन्हें-
- ॐ नमो वासुदेवाय
- ॐ ऐं श्रीं क्लीं प्राणवल्लभाय सौ:
सौभाग्यदाय श्रीकृष्णाय स्वाहा।
- - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कृष्णाय क्लीं
- श्री कृष्ण शरणं मम
आदि मंत्रों का जाप करना चाहिए। इनसे मनोकामना पूर्ण होती है।
जन्माष्टमी के दिन इन मंत्रों से अभीष्ट की प्राप्ति करें... पढ़ें अगले पेज पर....
देवी उपासकों के लिए भी जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। इस दिन रात्रि में देवी के किसी भी मंत्र का पुरश्चरण कर अपना अभीष्ट सिद्ध कर सकते हैं।
सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतन्वित:,
मनुष्य मत प्रसादेन भविष्यति न संशय:।
इस मंत्र का 10 हजार बार जप कर दशांस हवन कर रोज एक माला करें। इससे जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है साथ ही यश और समृद्धि की प्राप्ति होती है। जितने मंत्र जपे हैं उसके दसवें हिस्से से हवन करें।
इस मंत्र से बढ़ता ही रहेगा भंडार... पढ़ें अगले पेज पर...
- ॐ ह्रीं श्रीं आं ऐं लक्ष्मी स्वाहा।
इस मंत्र का 10000 बार या यथाशक्ति जाप करें तथा यथाशक्ति हवन करें। साथ ही 21 बार धान्य को अभिमंत्रित कर बड़े बर्तन में अपने भंडारगृह में रख दें। इसका प्रभाव आप स्वयं देख पाएंगे। भंडार भरपूर रहेगा। कभी खाली नहीं होगा।
मनचाही संपन्नता के लिए जपें यह मंत्र... अगले पेज पर...
मनचाही संपन्नता के लिए 'श्रीं कृष्णं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें।
इस मंत्र का 12 लाख बार जाप कर हवन करें। इससे मनचाही संपन्नता प्राप्त होगी।
* जिस भी मंत्र का जितनी बार जाप करें उसका दशांश हवन अवश्य करें। दशांश से तात्पर्य यदि एक लाख बार मंत्र जाप करते हैं तो 10000 मंत्रों की आहूति से हवन करें।