भाद्रापद अर्थात भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। अष्टमी तिथि 18 अगस्त की रात को 9:20 पर प्रारंभ होकर 19 अगस्त की रात को 10:59 बजे समाप्त होगी। तिथि के 18 अगस्त की रात्रि में प्रारंभ होने के चलते कई मंदिरों में 18 अगस्त की रात 12 बजे जन्मोत्सव मनाया जाएगा तो कई मंदिरों में उदयातिथि के अंतर्गत 19 अगस्त को यह पर्व मनाया जाएगा।
1. मथुरा, वृंदावन और द्वारका में जन्मोत्सव पर्व 19 अगस्त को मनेगा। श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
2. उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में जन्माष्टमी 19 अगस्त को ही मनाई जाएगी।
3. जगन्नाथ पुरी में मंदिर के पंचांग के हिसाब से 18 तारीख की रात में अष्टमी तिथि मिलने से गुरुवार को कृष्ण जन्म मनेगा।
4. अखिल भारतीय विद्वत परिषद और काशी विद्वत परिषद का कहना है कि 18 तारीख को अष्टमी तिथि सूर्योदय के वक्त नहीं रहेगी बल्कि रात में रहेगी। वहीं, 19 तारीख को अष्टमी तिथि में ही दिन की शुरुआत होगी और रात में भी रहेगी। इसलिए शुक्रवार को ही भगवान का जन्मोत्सव मनाना बेहतर है।
5.मथुरा श्रीजी पीठ के पीठाचार्य श्री आनंद बाबा के अनुसार जो रात्रि काल में मनाते हैं, सामान्य गृहस्थ और स्मार्तजनों के लिए 18 को जन्माष्टमी और जो दिन में मनाएं, वैष्णव सन्यासियों के लिए 19 अगस्त को जन्माष्टमी श्रेष्ठ है। अर्थात 18 अगस्त गृहस्थ जीवन जीने वाले लोग जन्माष्टमी मनाएंगे। वहीं 19 अगस्त की जन्माष्टमी साधु-संत मनाएंगे।