Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कृष्ण... जीवन की पाठशाला

- ऋषि गौतम

Advertiesment
हमें फॉलो करें कृष्ण जन्माष्टमी पर्व
भारतीय संस्कृति के महानायक श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व के जितने रंग हैं उतने और किसी के भी नहीं हैं, कभी माखन चुराता नटखट बालक, तो कभी प्रेम में आकंठ डूबा हुआ प्रेमी जो दुनिया को प्रेम का पाठ पठाता है।

जरूरत पड़ने पर प्रेयसी की एक पुकार पर सबके विरूद्ध जाकर उसे भगा भी ले जाता है। कभी बांसुरी की तान में सबको मोह लेता है, तो कभी सच्चे सारथी के रूप में गीता का उपदेश देकर दुनिया को नैतिकता और अनैतिकता की शिक्षा देता है।

ना जाने कितने रंग कृष्ण के व्यक्तित्व में समाए हैं। कृष्ण की हर लीला, हर बात में जीवन का सार छुपा है। कृष्ण के जीवन की हर घटना में एक सीख छुपी है। संपूर्ण पुरुष माने जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण ने जीवन को देखने का एक नया नजरिया अपने भक्तों को दिया।

जानिए श्रीकृष्ण की उन 5 शिक्षाओं को जिन्हें अगर आप आत्मसात कर लें तो परमात्मा के निकट पहुंच सकेंगे...


webdunia
FILE


निष्काम स्वधर्माचरणम् :
बिना फल की इच्छा किए या उस कार्य की प्रकृति पर सोच-विचार किए अपना कर्म करते जाओ।


webdunia
FILE


अद्वैत भावना सहित भक्ति :
परमात्मा के प्रति अद्वैत भावना से स्वयं को उस परम शक्ति के हाथों समर्पित कर दो। उसी की भक्ति करो।


webdunia
FILE


ब्रह्म भावना द्वारा सम दृष्टि :
सारे संसार को समान दृष्टि से देखो। सदैव ध्यान रखो कि संसार में एक सर्वव्यापी ब्रह्म है जो सर्वोच्च शक्ति है।


webdunia
FILE


इंद्रीय निग्रहम् और योग साधना :
इंद्रियों को अपने साधाना पर केंद्रित करो। सभी प्रकार की माया से स्वयं को मुक्त करने और अपनी इंद्रियों का विकास करने का निरंतर प्रयास करते रहो।


webdunia
FILE


शरणगति :
जिन चीजों को तुम अपना कहते हो उसे उस दिव्य शक्ति को समर्पित कर दो और उस समर्पण को सार्थक बनाओ।

आज आप और हम अर्जुन बन कर, अनवरत हर रोज अपने जीवन की महाभारत लड़ रहे हैं। हमारे इस शरीर रूपी रथ में पांच घोड़े जो है वो हमारी पांच ज्ञानेन्द्रिय (आंख, नाक, कान, जीभ, त्वचा) है। यह इन्द्रियां हर वक्त रूप, रस, श्रवन, गंध और स्पर्श में फंस कर भटकने को ललायित रहती है।

ऐसे में हमारी बुद्धि ही हमारी सारथी (भगवान श्रीकृष्ण) का काम करती है और मन के वशीभूत हुए इन चंचल घोड़ों को सही मार्ग पर प्रेरित करने के प्रयास में लगी रहती है। आज हर रोज की भागदौड़ में त्रस्त हुआ मनुष्य जब खुद को असहाय और असहज पाता है तो ऐसे में, श्रीमद्भगवद्गीता एक या ग्रन्थ न होकर मनुष्य को सफलतापूर्वक जीवन जीने की कला सिखाने वाली संजीवनी का काम करती है।
(समाप्त)

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi