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भगवान श्रीकृष्ण का मैनेजमेंट

सृष्टि के मार्गदर्शक हैं भगवान कृष्ण

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भगवान श्रीकृष्ण के मैनेजमेंट के बारे में कौन नहीं जानता। यदि उसे निजी जिंदगी में शामिल कर लिया जाए तो बहुत-सी अनसुलझी समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी।

भगवान कृष्‍ण ने बेटा, भाई, पत्नी, पिता के साथ मित्र की जो भूमिका निभाई, वह आज भी संपूर्ण चराचर के लिए मार्गदर्शक बनी हुई है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हमें उनके गुणों को धारण करने का संकल्प लेना चाहिए, जिससे विश्व कल्याण हो सकें। उनके श्रीमुख से प्रकट हुई श्रीमद्भागवत गीता आज भी लोगों को कर्म का पाठ पढ़ा रही है।

आइए जानते हैं क्या हैं भगवान श्रीकृष्ण के मैनेजमेंट मंत्र :-

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असत्य का साथ न दें :-

यदि आपको जीवन में निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना है तो असत्य का साथ कभी न दें, बल्कि सत्य का साथ देते हुए अपनी मंजिल का रास्ता तय करें।

अपनी बात पर कायम रहें :-

जो व्यक्ति अपनी बात पर कायम रहता है जीत उसका पीछा कभी नहीं छोड़ती। वह अपने हर कार्य में सफल होता है। श्रीकृष्ण का मैनेजमेंट मंत्र हमें यही सिखाता है कि अपनी बात से कभी बदलें नहीं।

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छल-कपट से न कमाएं धन :-

जो आपने पूर्ण ईमानदारी के साथ कमाया है, वह आपको हमेशा फलेगा। छल-कपट से कमाए हुए धन, अन्न को ग्रहण करने से भविष्य में हानि ही होगी। इसलिए हर कार्य में पूर्ण ईमानदारी बरतें।

माता-पिता व गुरु का सदा आदर करें :-

भगावन श्रीकृष्ण ने गीता के माध्यम से लोगों को बताया कि जो लोग अपने माता-पिता व गुरु का आदर करते हैं, वे प्रशंसा के पात्र बनते हैं। इसलिए सदैव बड़ों के आदर व सम्मान में कोई कमी नहीं रखना चाहिए।

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संकट के समय मित्र को न त्यागें :-

जब भी हम किसी मुसीबत में फंसे होते हैं तो एक मित्र की आवश्यकता पड़ती है, जो हमें उस परेशानी से निजात दिलाता है। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण के मैनेजमेंट मंत्र के अनुसार विपत्ति के समय हमें कभी अपने दोस्त का त्याग नहीं करना चाहिए।

कर्म पर भरोसा करें, फल पर नहीं :-

श्रीकृष्ण को हम द्वापर युग का मैनेजमेंट गुरु कह सकते हैं। उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता के माध्यम से लोगों को प्रबंधन का पाठ पढ़ाया कि जो लोग कर्मरत रहते हैं, वे हमेशा आगे बढ़ते हैं। इसलिए हमें फल की इच्छा न रखते हुए निरंतर कर्मशील रहना चाहिए

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