Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हनुमानजी के 108 नाम, लेकिन जानिए 11 खास नामों का रहस्य

हमें फॉलो करें हनुमानजी के 108 नाम, लेकिन जानिए 11 खास नामों का रहस्य

अनिरुद्ध जोशी

हनुमानजी के कई नाम है और हर नाम के पीछे कुछ ना कुछ रहस्य है। हनुमानजी के लगभग 108 नाम बताए जाते हैं। वैसे प्रमुख रूप से हनुमानजी के 12 नाम बताए जाते हैं। बलशालियों में सर्वश्रेष्ठ है हनुमानजी। कलिकाल में उन्हीं की भक्ति से भक्त का उद्धार होता है। जो जपे हनुमानजी का नाम संकट कटे मिटे सब पीड़ा और पूर्ण हो उसके सारे काम। तो आओ जानते हैं कि हनुमानजी के नामों का रहस्य।
 
 
1. मारुति : हनुमानजी का बचपना का यही नाम है। यह उनका असली नाम भी माना जाता है। 
 
2. अंजनी पुत्र : हनुमान की माता का नाम अंजना था। इसीलिए उन्हें अंजनी पुत्र या आंजनेय भी कहा जाता है।
 
3. केसरीनंदन : हनुमानजी के पिता का नाम केसरी था इसीलिए उन्हें केसरीनंदन भी कहा जाता है।
 
4. हनुमान : जब बालपन में मारुति ने सूर्य को अपने मुंह में भर लिया था तो इंद्र ने क्रोधित होकर बाल हनुमान पर अपने वज्र से वार किया। वह वज्र जाकर मारुति की हनु यानी कि ठोड़ी पर लगा। इससे उनकी ठोड़ी टूट गई इसीलिए उन्हें हनुमान कहा जाने लगा।
 
4. पवन पुत्र : उन्हें वायु देवता का पुत्र भी माना जाता है, इसीलिए इनका नाम पवन पुत्र हुआ। उस काल में वायु को मारुत भी कहा जाता था। मारुत अर्थात वायु, इसलिए उन्हें मारुति नंदन भी कहा जाता है। वैसे उनमें पवन के वेग के समान उड़ने की शक्ति होने के कारण भी यह नाम दिया गया।
 
6. शंकरसुवन : हनुमाजी को शंकर सुवन अर्थात उनका पुत्र भी माना जाता है क्योंकि वे रुद्रावतार थे।
 
7. बजरंगबली : वज्र को धारण करने वाले और वज्र के समान कठोर अर्थात बलवान शरीर होने के कारण उन्हें वज्रांगबली कहा जाने लगा। अर्थात वज्र के समान अंग वाले बलशाली। लेकिन यह शब्द ब्रज और अवधि के संपर्क में आकर बजरंगबली हो गया। बोलचाल की भाषा में बना बजरंगबली भी सुंदर शब्द है।
 
8. कपिश्रेष्ठ : हनुमानजी का जन्म कपि नामक वानर जाति में हुआ था। रामायणादि ग्रंथों में हनुमानजी और उनके सजातीय बांधव सुग्रीव अंगदादि के नाम के साथ 'वानर, कपि, शाखामृग, प्लवंगम' आदि विशेषण प्रयुक्त किए गए। उनकी पुच्छ, लांगूल, बाल्धी और लाम से लंकादहन इसका प्रमाण है कि वे वानर थे। रामायण में वाल्मीकिजी ने जहां उन्हें विशिष्ट पंडित, राजनीति में धुरंधर और वीर-शिरोमणि प्रकट किया है, वहीं उनको लोमश ओर पुच्छधारी भी शतश: प्रमाणों में व्यक्त किया है। अत: सिद्ध होता है कि वे जाति से वानर थे।
 
9. वानर यूथपति : हनुमानजी को वानर यूथपति भी कहा जाता था। वानर सेना में हर झूंड का एक सेनापति होता था जिसे यूथपति कहा जाता था। अंगद, दधिमुख, मैन्द- द्विविद, नल, नील और केसरी आदि कई यूथपति थे। 
 
10. रामदूत : प्रभु श्रीराम का हर काम करने वाले दूत।
 
11. पंचमुखी हनुमान : पातल लोक में अहिरावण का वध करने जब वे गए तो वहां पांच दीपक उन्हें पांच जगह पर पांच दिशाओं में मिले जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे। इन पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जाएगा इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख।  इस रूप को धरकर उन्होंने वे पांचों दीप बुझाए तथा अहिरावण का वध कर राम,लक्ष्मण को उस से मुक्त किया। मरियल नामक दानव को मारने के लिए भी यह रूप धरा था।
 
दोहा : 
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥ 
 
स्तुति : 
हनुमान अंजनी सूत् र्वायु पुत्रो महाबलः।
रामेष्टः फाल्गुनसखा पिङ्गाक्षोऽमित विक्रमः॥
उदधिक्रमणश्चैव सीता शोकविनाशनः।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा॥
 
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मनः।
सायंकाले प्रबोधे च यात्राकाले च यः पठेत्॥
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।
 
यहां पढ़ें हनुमानजी के 12 चमत्कारिक नाम
 
1. हनुमान हैं (टूटी हनु).
2. अंजनी सूत, (माता अंजनी के पुत्र).
3. वायुपुत्र, (पवनदेव के पुत्र).
4. महाबल, (एक हाथ से पहाड़ उठाने और एक छलांग में समुद्र पार करने वाले महाबली).
5. रामेष्ट (राम जी के प्रिय).
6. फाल्गुनसख (अर्जुन के मित्र).
7. पिंगाक्ष (भूरे नेत्र वाले).
8. अमितविक्रम, ( वीरता की साक्षात मूर्ति) 
9. उदधिक्रमण (समुद्र को लांघने वाले).
10. सीताशोकविनाशन (सीताजी के शोक को नाश करने वाले).
11. लक्ष्मणप्राणदाता (लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करने वाले).
12.. दशग्रीवदर्पहा (रावण के घमंड को चूर करने वाले).
 
हनुमान जी के 108 नाम :
 
1.भीमसेन सहायकृते
2. कपीश्वराय
3. महाकायाय
4. कपिसेनानायक
5. कुमार ब्रह्मचारिणे
6. महाबलपराक्रमी
7. रामदूताय
8. वानराय
9. केसरी सुताय
10. शोक निवारणाय
11. अंजनागर्भसंभूताय
12. विभीषणप्रियाय
13. वज्रकायाय
14. रामभक्ताय
15. लंकापुरीविदाहक
16. सुग्रीव सचिवाय
17. पिंगलाक्षाय
18. हरिमर्कटमर्कटाय
19. रामकथालोलाय
20. सीतान्वेणकर्त्ता
21. वज्रनखाय
22. रुद्रवीर्य
23. वायु पुत्र
24. रामभक्त
25. वानरेश्वर
26. ब्रह्मचारी
27. आंजनेय
28. महावीर
29. हनुमत
30. मारुतात्मज
31. तत्वज्ञानप्रदाता
32. सीता मुद्राप्रदाता
33. अशोकवह्रिकक्षेत्रे
34. सर्वमायाविभंजन
35. सर्वबन्धविमोत्र
36. रक्षाविध्वंसकारी
37. परविद्यापरिहारी
38. परमशौर्यविनाशय
39. परमंत्र निराकर्त्रे
40. परयंत्र प्रभेदकाय
41. सर्वग्रह निवासिने
42. सर्वदु:खहराय
43. सर्वलोकचारिणे
44. मनोजवय
45. पारिजातमूलस्थाय
46. सर्वमूत्ररूपवते
47. सर्वतंत्ररूपिणे
48. सर्वयंत्रात्मकाय
49. सर्वरोगहराय
50. प्रभवे
51. सर्वविद्यासम्पत
52. भविष्य चतुरानन
53. रत्नकुण्डल पाहक
54. चंचलद्वाल
55. गंधर्वविद्यात्त्वज्ञ
56. कारागृहविमोक्त्री
57. सर्वबंधमोचकाय
58. सागरोत्तारकाय
59. प्रज्ञाय
60. प्रतापवते
61. बालार्कसदृशनाय
62. दशग्रीवकुलान्तक
63. लक्ष्मण प्राणदाता
64. महाद्युतये
65. चिरंजीवने
66. दैत्यविघातक
67. अक्षहन्त्रे
68. कालनाभाय
69. कांचनाभाय
70. पंचवक्त्राय
71. महातपसी
72. लंकिनीभंजन
73. श्रीमते
74. सिंहिकाप्राणहर्ता
75. लोकपूज्याय
76. धीराय
77. शूराय
78. दैत्यकुलान्तक
79. सुरारर्चित
80. महातेजस
81. रामचूड़ामणिप्रदाय
82. कामरूपिणे
83. मैनाकपूजिताय
84. मार्तण्डमण्डलाय
85. विनितेन्द्रिय
86. रामसुग्रीव सन्धात्रे
87. महारावण मर्दनाय
88. स्फटिकाभाय
89. वागधीक्षाय
90. नवव्याकृतपंडित
91. चतुर्बाहवे
92. दीनबन्धवे
93. महात्मने
94. भक्तवत्सलाय
95.अपराजित
96. शुचये
97. वाग्मिने
98. दृढ़व्रताय
99. कालनेमि प्रमथनाय
100. दान्ताय
101. शान्ताय
102. प्रसनात्मने
103. शतकण्ठमदापहते
104. योगिने
105. अनघ
106. अकाय
107. तत्त्वगम्य
108. लंकारि

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राशिफल : सूर्य की तरह चमकेगा भाग्य, जानिए 11 सितंबर 2021 शनिवार का भविष्य