Hanuman vigraha puja : हनुमानजी की कई स्वरूपों की मूर्तियां हमें मिल जाएगी। हमें घर में किस स्वरूप की मूर्ति रखना चाहिए और कौनसे स्वरूप की पूजा करना चाहिए यह जानना भी बहुत जरूरी है। यदि आप घर में हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं तो यह जानना भी जरूरी है कि उनके किस विग्रह की पूजा का क्या है फल।
1. पंचमुखी हनुमान : राम लक्ष्मण को अहिरावण से मुक्त कराने के लिए हनुमानजी ने पंचमुखी रूप धारण किया था। पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जाएगा इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख।
वास्तुविज्ञान के अनुसार पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति जिस घर में होती है वहां उन्नति के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और धन संपत्ति में वृद्घि होती है। पंचमुखी हनुमानजी का उपरोक्त चित्र भी अच्छा है। यदि आपको लगता है कि आपके घर पर नकारात्मक शक्तियों का असर है तो आप पंचमुखी हनुमानजी का चित्र मुख्य द्वारा के ऊपर लगा सकते हैं या ऐसी जगह लगाएं जहां से यह सभी को नजर आए। ऐसा करने से घर में किसी भी तरह की बुरी शक्ति प्रवेश नहीं करेगी। इससे शनि की सभी तरह की बाधा भी दूर रहो जाती है।
2. एकादशी हनुमान : श्रीहनुमानजी रुद्र यानी शिव के ही ग्यारहवें अवतार माने गए हैं। ग्यारह मुख वाले कालकारमुख नामक एक भयानक बलवान राक्षस का वध करने के लिए श्रीराम की आज्ञा से हनुमानजी ने एकादश मुख रूप ग्रहण करके चैत्र पूर्णिमा (हनमान जयंती) को शनिश्चर के दिन उस राक्षस का उसकी सेना सहित वध कर दिया था। एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी पूजा से सभी देवी और देवताओं की उपासना के फल मिलते हैं।
3. वीर हनुमान : जैसा की नाम से ही विदित है कि इस नाम से हनुमानजी की प्रतिमा की पूजा जीवन में साहस, बल, पराक्रम और आत्मविश्वास प्रदान कर सभी कार्यों की बाधाओं को दूर करती है।
4. भक्त हनुमान : राम की भक्ति करते हुए आपने हनुमानी का चित्र या मूर्ति देखी होगी। इस चित्र या मूर्ति की पूजा से जीवन के लक्ष्य को पाने में आ रहीं अड़चनें दूर होती है। साथ ही यह भक्ति जरूरी एकाग्रता और लगन देने वाली होती है। इस मूर्ति या चित्र में हनुमानजी हाथ में करताल लेकर राम की भक्ति करते नजर आएंगे।
5. दास हनुमान : हनुमानजी रामजी के दास हैं। सदा रामकाज करने को आतुर रहते हैं। दास हनुमान की आराधना से व्यक्ति के भीतर सेवा और समर्पण की भावना का विकास होता है। धर्म, कार्य और रिश्तों के प्रति समर्पण और सेवा होने से ही सफलता मिलती है। इस मूर्ति या चित्र में हनुमानजी प्रभु श्रीरामजी के चरणों में बैठे हुए हैं।
6. सूर्यमुखी हनुमान : शास्त्रों के मुताबिक श्रीहनुमान के गुरु सूर्यदेव हैं। सूर्य पूर्व दिशा से उदय होकर जगत को प्रकाशित करता है। सूर्यमुखी हनुमान की उपासना से ज्ञान, विद्या, ख्याति, उन्नति और सम्मान मिलता है। सूर्यमुखी हनुमान को ही पूर्वमुखी हनुमान कहते हैं।