रांची। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन विपक्षी भाजपा और आजसू के सदस्यों ने हेमंत सोरेन सरकार से भर्ती नियमों, रोजगार नीति, अधिवास और खतियान के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की।
विपक्षी विधायकों ने सोमवार को राज्य में चल रहे भाषा विवाद का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह दूसरे राज्य से 10वीं और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अनारक्षित वर्ग के विद्यार्थियों, जो झारखंड के स्थायी निवासी हैं, की नई भर्ती नियमावली के तहत रोजगार अर्हता पर स्थिति स्पष्ट करे।
उल्लेखनीय कि राज्य सरकार ने अगस्त 2021 में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा आयोजित तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरी की भर्ती परीक्षा के लिए रोजगार अर्हता और पाठ्यक्रम में बदलाव कर दिया था। इसके तहत अनारक्षित वर्ग के लोगों के लिए जेएसएससी द्वारा निकाली गई नौकरियों का आवेदन करने के लिए झारखंड के स्कूलों से 10वीं और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया।
ऑल झारखंड स्टुडेंट यूनियन (आजसू) के विधायक लम्बोदर महतो ने प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया जिसका भाजपा विधायक भानु प्रताप साही और आजसू प्रमुख सुदेश महतो सहित अन्य विपक्षी सदस्यों ने समर्थन किया। उन्होंने स्थानीय निवासी और रोजगार नीति स्पष्ट रूप से परिभाषित होने तक भर्तियों पर रोक लगाने की मांग की। मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में रोजगार अर्हता पर बात नहीं की और कहा कि 1932 का खतियान (व्यक्ति के जमीन होने का सबूत) विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि हम जल्द फैसला लेंगे कि इस मामले पर समिति गठित की जाए या नियम बनाया जाए।
भाजपा विधायक अमित कुमार मंडल ने सरकार का ध्यान गोड्डा जिले की स्थानीय भाषा की सूची में कुर्माली को शामिल नहीं करने को लेकर ध्यान आकर्षित कराया और इसे जिला स्तर पर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों की भर्ती में शामिल करने की मांग की। विपक्षी विधायक अनंत ओझा, प्रदीप यादव और दीपिका पांडेय ने मंडल का समर्थन किया जिस पर संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने पुनर्विचार का आश्वासन दिया।
उल्लेखनीय है कि झारखंड सरकार ने भारी विरोध के बीच इस महीने की शुरुआत में धनबाद और बोकारो की स्थानीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही को हटा दिया था। इससे पहले भाजपा विधायक नवीन जायसवाल और भानु प्रताप साही ने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि किसी कारण अगर झारखंड का व्यक्ति बाहर पढ़ाई करता है तो वह सरकार की प्राथमिकता में है या नहीं।
उन्होंने जानना चाहा कि कैसे ऐसे विद्यार्थियों को सिर्फ इसलिए राज्य सरकार की नौकरी से वंचित किया जा सकता है कि उन्होंने झारखंड से बाहर पढ़ाई की है। बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए सुदेश महतो ने कहा कि हमने सरकार से स्थानीय नीति को परिभाषित करने और रोजगार नीति व भर्ती नियमावली स्पष्ट होने तक भर्तियों पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन मुख्यमंत्री ने भर्ती के सवाल को टाल दिया। राज्य के लोगों को इसके लिए प्रदर्शन करना होगा।