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करवा चौथः परम्परा के साथ फैशन भी

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यह तो हम सभी जानते हैं कि करवाचौथ का पर्व मूल रूप से पति-पत्नी के बीच रिश्तों को और मजबूत करने का दिन होता है। खासकर जो नए जोड़े होते हैं, उनके लिए यह पर्व और भी मायने रखता है। एक-दूसरे को करीब से जानने और समझने का इससे बेहतर अवसर और क्या हो सकता है! लेकिन कुछ सालों से इसका स्वरूप काफी बदल गया है।

माँ दुर्गा और पार्वती की पूजा अर्चना के अलावा भी इस पर्व के साथ और चीजें जुड़ गई हैं। यह केवल पर्व नहीं रह गया है, बल्कि यह पारिवारिक उत्सव का रूप ले चुका है। पंजाबियों में यह त्योहार बहुत धूम से मनाया जाता है और उनका भी मानना है कि यह अब केवल पति-पत्नी का ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार का त्यौहार हो गया है।

लोग इस दिन पूरे परिवार के साथ बाहर घूमने जाते हैं। विभिन्न शहरों में इस दिन रेस्टोरेंट और होटलों में भीड़ लगी रहती है। पूरा परिवार पूजा के बाद साथ साथ बाहर खाने और घूमने का आनन्द लेता है। होटलों में भी इसकी पहले से ही तैयारी कर ली जाती है। इनमें भी करवाचौथ पर खाए जाने वाले ही व्यंजन तैयार किए जाते हैं।

जो महिलाएँ करवाचौथ का व्रत रखती हैं, उन्हें अपने पति और परिवार वालों की तरफ से ढेर सारे तोहफे दिए जाते हैं। यह तोहफा अपनों की ओर से मिलने वाले प्यार का प्रतीक होता है।

नई-नवेली दुलहनों के लिए यह मौका वाकई काफी महत्वपूर्ण होता है। इसलिए इस मौके पर वो काफी सजती-धजती हैं ताकि वो भीड़ से बिल्कुल अलग दिखें। खूबसूरत साड़ी और गहनों में उनका रूप सचमुच काफी निखर आता है।

सारगी और बाया:
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करवाचौथ के दिन तोहफों में दो चीजें काफी महत्वपूर्ण होती है- 'सारगी' और 'बाया'। ये दो चीजें तोहफे में जरूर दी जाती हैं। इसके बिना करवाचौथ का पर्व अधूरा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसे देने से पति-पत्नी का रिश्ता और भी गहरा होता है। 'सारगी' में तरह-तरह की मिठाइयाँ और कुछ कपड़े दिए जाते हैं। जिसे करवाचौथ करने वाली महिलाएँ सूर्योदय के पहले तक ही खा सकती हैं। उपवास शुरू होने के बाद इसे नहीं खाया जाता।

'बाया' लड़के को ससुराल पक्ष की ओर से दिया जाता है। जिसमें बादाम, मठरी और कुछ कपड़े दिए जाते हैं। जबकि 'सारगी' सास अपनी बहू को देती है।

पहले जहाँ 'सारगी' और 'बाया' एक परम्परा के रूप में लिया जाता था वहीं अब इसमें फैशन का पुट भी शामिल हो गया है। इसमें साधारण कपड़ों की जगह डिजाइनर कपड़े दिए जाने लगे हैं।

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