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विशेष रूप से श्रृंगार करती हैं महिलाएं

पति की मंगल कामना का पर्व

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भारत भर में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्व करवा चौथ के लिए महिलाएं विशेष रूप से श्रृंगार करती हैं। फैशन के इस दौर में भी महिलाएं पारंपरिक रूप से ही तैयार होती हैं। कुछ महिलाएं इस दिन विवाह के समय ओढ़ी जाने वाली चुंदड़ी भी ओढ़ती हैं। तो कुछेक करवा चौथ के अवसर पर नई साड़ी खरीद कर उन्हें पहनती है।

नवविवाहिता के पहले करवा चौथ पर कुछ परिवारों में मायके से ससुराल में उपहार स्वरूप वस्त्र और श्रृंगार का सामान भिजवाया जाता है, जिसे पहन कर ही नवविवाहिता यह पूजा करती हैं। करवा चौथ के दिन छोटी बहू, परिवार की बड़ी बहू या फिर सास को करवा और मिष्ठान्न प्रदान कर अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लेती है।

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मैना के अनुसार करवा चौथ का इंतजार बहुत दिनों से था, जिसके लिए उन्होंने बाकायदा तैयारी प्रारंभ भी कर दी थी। विशेष परिधान तो लिए ही, साथ ही उस परिधान के अनुरूप आभूषण भी तय कर लिए थे। वे कहती है यह ऐसा पावन दिन है जब पति की आयु के लिए की गई प्रार्थना प्रभु स्वीकार करते हैं और यही विवाहिता के लिए बड़ा वरदान है। इसके साथ ही उन्होंने मेहंदी और पूजन सामग्री भी क्रय की है।

कई महिलाएं तो करवा चौथ की तैयारी दो माह पूर्व से ही करना प्रारंभ कर देती है। फैशन की शौकिन महिलाएं इस दिन के लिए ऐसे रंगों के परिधान खरीदना पसंद करती है जो पर्व के अर्थ को सार्थक करें और उसकी गरिमा बनाए रखें। इसके अतिरिक्त परिधान से मेल खाते आभूषण भी।

करवा चौथ के दिन हर सुहागन दुल्हन की तरह तैयार होती है और भगवान से यही प्रार्थना करती है कि उसके पति की आयु लंबी हो।

करवा चौथ के बारे में सोनम बाकायदा परिधान डिजाइन करवा कर पहनती है। वे कहती हैं कि यह दिन वर्ष में एक ही बार आता है जब पति की लंबी उम्र और सलामत‍ी के लिए चौथ माता से मांगी गई मुराद पूरी होती है तो फिर भला इसे हम क्यों न मनाएं।

साथ ही वे इस बात का ध्यान भी रखती है कि उनके परिधान लाल रंग के ही हो। वे कहती हैं कि चूंकि लाल रंग शुभ व सुहाग का प्रतीक माना जाता है। अतः इस पर्व पर सामान्यतः इसी रंग के परिधान पहनने चाहिए।

प्रस्तुति - राजश्रकासलीवाल

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