Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

विधि-विधान से करें करवा चौथ

सौभाग्यदायक व्रत है करवा चौथ

हमें फॉलो करें विधि-विधान से करें करवा चौथ
ND

पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाओं का प्रिय पर्व करवा चौथ का व्रत में महिलाएँ आज दिन भर निर्जल रहकर विधि-विधान से करेंगी। विधि-विधान से किया गया व्रत बहुत ही फलदाई होता है। इसमें व्रत की कथा सुनने का भी बहुत महत्व है।

व्रत का विधि-विधान :- करवा चौथ के व्रत के दिन शाम को लकड़ी के पटिए पर लाल वस्त्र बिछाएँ। इसके बाद पटिए पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें। वहीं एक लोटे पर श्रीफल रखकर उसे कलावे से बाँधकर वरुण देवता की स्थापना करें। तत्पश्चात मिट्टी के करवे में गेहूँ, शक्कर व नकद रुपया रखकर कलावा बाँधे।

इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढ़ाकर भगवान का पूजन करें। पूजन के समय करवे पर 13 बार टीका कर उसे सात बार पटिए के चारों ओर घुमाएँ। हाथ में गेहूँ के 13 दाने लेकर करवा चौथ की कथा का श्रवण करें। पूजन के दौरान ही सुहाग का सारा सामान चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, मेंहदी, महावर आदि करवा माता पर चढ़ाकर अपनी सास या ननद को दें। फिर चाँद को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथों से पहला निवाला खाकर व्रत खोलें।

webdunia
ND
व्रत की पौराणिक कथा :- यह व्रत कार्तिक माह की चतुर्थी को मनाया जाता है, इसलिए इसे करवा चौथ कहते हैं। व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार एक द्विज नामक ब्राह्मण के सात बेटे व वीरावती नाम की एक कन्या थी। वीरावती ने पहली बार मायके में करवा चौथ का व्रत रखा। निर्जला व्रत होने के कारण वीरावती भूख के मारे परेशान हो रही थी तो उसके भाइयों से रहा न गया। उन्होंने नगर के बाहर वट के वृक्ष पर एक लालटेन जला दी व अपनी बहन को चंदा मामा को अर्घ्य देने के लिए कहा।

वीरावती जैसे ही अर्घ्य देकर भोजन करने के लिए बैठी तो पहले कौर में बाल निकला, दूसरे कौर में छींक आई। वहीं तीसरे कौर में ससुराल से बुलावा आ गया। वीरावती जैसे ही ससुराल पहुँची तो वहाँ पर उसका पति मृत्यु हो चुकी थी। पति को देखकर वीरावती विलाप करने लगी। तभी इंद्राणी आईं और वीरावती को बारह माह की चौथ व करवा चौथ का व्रत करने को कहा।

वीरावती ने पूर्ण श्रद्धाभक्ति से बारह माह की चौथ व करवा चौथ का व्रत रखा, जिसके प्रताप से उसके पति को पुन: जीवन मिल गया। अतः पति की दीर्घायु के लिए ही महिलाएँ पुरातनकाल से करवा चौथ का व्रत करती चली आ रही हैं।

webdunia
ND
शास्त्रों में है वर्णित :- शास्त्रों के अनुसार इस व्रत के समान फलदायक व सौभाग्यदायक व्रत कोई दूसरा नहीं है। यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा 12 वर्ष व 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। व्रत की अवधि पूरी होने के पश्चात महिलाएँ इसका उद्यापन करती हैं। जो स्त्रियाँ इसे आजीवन रखना चाहें, वे जीवन भर इस व्रत को रख सकती हैं। व्रत का यह विधान काफी प्राचीन है।

द्रौपदी और पार्वती ने भी किया व्रत:- कहा जाता है कि पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी करवा चौथ का व्रत किया था। जब अर्जुन नीलगिरि पर्वत पर तप करने गए थे, तब द्रौपदी बेहद परेशान हो गई थीं। भगवान श्रीकृष्ण की सलाह से द्रौपदी ने यह व्रत कर चंद्र को अर्घ्य दिया था। वहीं माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत किया था।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi