बच्चों हमारी सोच में बहुत शक्ति होती है। सचिन तेंदूलकर जब छोटे थे, तब ही उन्होंने सोच लिया था कि बड़े होकर उन्हे क्रिकेटर बनना हैं। जे.के. रॉलिंग जब छोटी थी, तब ही उन्होंने तय किया था कि वो बड़ी होकर लेखिका बनेंगी। आप भी अपने बारे में अभी से सोचना शुरू करो कि बड़े होकर क्या करना चाहते हो।
आप अपने बारे में नहीं सोचना चाहते तो कोई बात नहीं। सोचने के लिए और भी बहुत कुछ हैं, जानते हो पहले लोग उड़ने के बारे में केवल सोचा करते थे। प्रकृति ने तो मनुष्य को उड़ने की शक्ति नहीं दी, लेकिन सोच-समझ के मानव ने हवाई-जहाज का निर्माण्ा कर लिया। हवाई-जहाज में बैठकर मानव बड़ी आसानी से उड़ता है।
हैरी पॉटर, कृश, सुपरमैन, टॉम एंड जैरी और इनके साथ आप टेलीविजन पर जितने भी सुपर हीरों और कार्टून कैरेक्टर आप देखते हैं। वे सभी किसी-ना-किसी की सोच का ही परिणाम हैं।
अब तो आप लोगों को सोचने का महत्व समझ आ गया होगा। तो जब भी सोचो, अच्छा सोचो।
आपकी दीदी
नूपुर