अपनी पसंद या नापसंद बताते समय आप सोचते हैं या नहीं? जैसे किसी दिन आप तय समय पर होमवर्क पूरा नहीं कर पाए। टीचर ने होमवर्क अधूरा रहने का कारण पूछा। आप कुछ बहाना बना देते हैं। फिर टीचर पूछती हैं कि अब पिछला और नया होमवर्क पूरा कब होगा?
इस पर आप कहते हैं कि दो दिन में। डर के मारे आप चार दिन का होमवर्क दो दिन में पूरा करने को कह तो देते हैं पर ऐसा होता नहीं। होना था भी नहीं। दो दिन बीतते हैं और आप होमवर्क कर नहीं पाते। फिर से आपको टीचर के सामने खड़ा होकर डाँट सुनना पड़ती है। तो इस बात में शिक्षा यह है कि अपनी बात ठीक-ठीक और स्पष्ट तरीके से कहना चाहिए।
आपको अपना नया और पुराना होमवर्क करने के लिए टीचर से चार दिन का समय लेना चाहिए था। अब याद करो किसी खास मौके पर खाना खाते वक्त थाली में कितना परोसा जाए यह भी आप कह नहीं पाते। ज्यादा खाना परोसा जाता है और या तो आप जबरदस्ती खाते हो या झूठा छोड़ते हो। इससे अच्छा है परोसते वक्त स्पष्ट कहो कि कितनी जरूरत है। आपको अपनी बात स्पष्ट तरीके से कहना चाहिए, तो अब ढुलमुलराम मत रहना। अपनी बातें सोच-समझकर और स्पष्ट तरीके से कहना। स्पष्ट बोलने वाले की बात का महत्व रहता है जबकि ढुलमुलराम रोज अपने लिए नई परेशानी खड़ी कर लेते हैं।
- संपादक भैया