प्यारे भैया-बहनों!
दीपोत्सव पर अनेक मंगलकामनाएँ
दीपोत्सव हमारे लिए केवल प्रकाश पर्व ही नहीं है एक ऐसा पावन दिन भी है। जिस दिन अनेक 'आत्मदीप' अपनी ज्योति से दुनिया को जगमगाकर महाप्रकाश में विलीन हो गए।
महावीर स्वामी, दयानंद सरस्वती और स्वामी रामतीर्थ ऐसी ही विभूतियों में से हैं। वे शायद उस दीपक के वंशज थे जिसने सूर्य के अभाव में भी अंधकार से लड़ने का बीड़ा उठाया था। वह अपनी मर्यादाएँ जानता था। फिर भी अंधकार की चुनौती उसने स्वीकार की थी।
समय और परिस्थितियों की चुनौती स्वीकार सब नहीं करते। जिन्हें अपनी धरोहर पर अडिग विश्वास होता है उन्हें ऐसी चुनौती स्वीकार करने में समय नहीं लगता। सौभाग्य से हम ऐसी परंपरा के धनी हैं।
अपनी जीवन ज्योति से ही प्रकाश बिखेरने वाले नहीं तो अपना जीवन दीप बुझाकर भी प्रकाश देने वाले श्रेष्ठ नर-वीरों की एक लंबी मालिका है हमारे देश में दीपों की जगमगाहट में, आतिशबाजी के शोरगुल में तथा लक्ष्मी और सरस्वती की आराधना के क्षणों में हम एक क्षण ऐसा भी निकालें जब इन नर-पुंजों का स्मरण हो सके।
आपका बड़ा भैया