Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

प्यार के दो शब्द ही बहुत हैं

संपादक की चिट्‍ठी

हमें फॉलो करें प्यार के दो शब्द ही बहुत हैं
आप बस या ट्रेन में सफर करते हैं। सड़क से गुजरते हैं। तो कभी तो आपने आपके जैसे बच्चों को काम करते देखा ही होगा। आपकी जितनी उम्र वाले कई बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल नहीं जा पाते हैं। वे बूट पॉलिश करके, होटल या चाय की दुकान पर काम करके पैसे कमाते हैं। ऐसा नहीं है कि वे स्कूल नहीं जाना चाहते पर पैसों की उनकी जरूरत ज्यादा बड़ी होती है। क्या उन्हें स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता होगा? क्या उनकी भी टीवी देखने की इच्छा नहीं होती होगी?

कानून कहता है कि पढ़ने-लिखने की उम्र में बच्चों से इस तरह के काम लेना अपराध है पर इसके बावजूद अपने आसपास की स्थिति आपसे छुपी नहीं है। कई बार हम भी अपना गुस्सा इन बच्चों पर उतार देते हैं। पर क्या इन बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए?

अगर आपके आसपास कोई गरीब बच्चा है तो आपसे जितनी हो सके उतनी मदद उसकी जरूर कीजिए। आपकी पुरानी किताबें भी किसी के लिए बहुमूल्य हो सकती हैं, फिर किताब कहाँ पुरानी होती है। स्पेक्ट्रम के पाठकों से इतनी उम्मीद है कि वे दुनिया को अच्छा बनाने के लिए इतना तो जरूर करेंगे। इसी तरह तो अच्छी दुनिया बनेगी। कोई मदद न बन पाए तो कोई बात नहीं, प्यार के दो शब्द कहोगे तो ही बहुत है। वे भी तो आपकी ही तरह हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi