-गिरीश पंड्या
सारा जंगल मना रहा था
राखी का त्योहार
चींटी रानी निकल पड़ी
सुबह-सुबह बाजार
राखी की दुकान पर
वह सबसे पहले आई
एक-एक करके उसने फिर
कई राखियाँ निकलवाई
कड़ककर बोली दुकानदार से
जल्दी से तुम जाओ
मेरे भैया के लिए एक
बड़ी सी राखी ढ़ूँढकर लाओ
यह सुन दुकानदार को
जमकर हँसी आई
कहा तुम तो छोटी हो चींटी
फिर बड़ी राखी क्यों मँगवाई?
पर्स अपना हिलाते हुए
चींटी कुछ इठलाई
बोली, गज्जू हाथी है मेरे भैया
जिनकी सबसे मोटी कलाई।