-प्रदीप मिश्र
छोटू का मन हुआ उदास,
फेल वही, बाकी सब पास।
कक्षा से घर लौटे कैसे,
माँ को बात बताए कैसे।
कैसे पिता के आगे जाए,
फेल हुआ कैसे समझाए।
आज पड़ेगी उस पर मार,
उछलकूद ने किया बेकार।
लड़ाई-झगड़े जिद-विवाद,
मनमानी कर गई बरबाद।
बारी जब पढ़ने की आती,
नींद बोरियत उसे सताती।
चिंतित मन से पहुँचा घर,
बैठा कोने, पकड़कर सर।
भय से काँप रहे थे पाँव,
समझ गई माँ सारे भाव।
धीरे से इक चपत लगाया,
पास बिठा उसे समझाया।
भूला सुबह शाम घर आया,
कभी न वह भूला कहलाया।
तन-मन से जो लग जाता है,
वही लक्ष्य को पा जाता है।