जहां ज्ञान का अथाह भंडार है,
लोगों में सतगुणों का अंबार है।
प्रकृति की कृपा जहां अपार है,
वो मेरा भारत देश निर्विकार है।
जहां रोम-रोम में बसता प्यार है,
जहां वीरों की भरमार है।
जहां प्रभु कृपा बेशुमार है,
इस देश के बहुत उपकार हैं।
भारत मां ने अन्न-पानी देकर हमें पाला-पोसा,
उस मां का है अपने वीर पुत्रों पर बड़ा भरोसा।
हे मां! हम तेरी खातिर अपना शीश कटाएंगे,
अपनी जान देकर भी हम तेरी लाज बचाएंगे।
जब मां मांग रही थी आहुति स्वतंत्रता की ज्वाला में,
हमने शीश पिरो दिए आजादी की जयमाला में।
जब उठी आवाज पूरे हिन्दुस्तान की,
रोक न पाई इसे ताकत इंग्लिस्तान की।
यह है अमर गाथा,
हमारे देश महान की।
बलिदान देकर भी रक्षा करेंगे,
अपने हिन्दुस्तान की।
हमें अपनी जान से बढ़कर,
है अपना यह वतन प्यारा।
हम सीना तानकर कहते हैं,
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा।
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अंशुमन दुबे (बाल कवि)
साभार- छोटी-सी उमर (कविता संग्रह)