बालगीत : सॉरी मत बोलो दादाजी
नाक पकड़ कर बेमतलब, सॉरी मत बोलो दादाजी।नहीं जानते कुछ भी अपनी, पोल न खोलो दादाजी।कान पकड़कर ही तो सॉरी, बोला जाता है हरदम,किंतु ताज्जुब है दादाजी, अक्ल आपमें इतनी कम।अब तो कान पकड़ कर सॉरी, सबको बोलो दादाजी।नहीं जानते कुछ भी अपनी, पोल न खोलो दादाजी।नहीं थैंक यूं अब तक बोला, कितने काम किए मैंने,दिन भर घर में घूमा करते, लुंगी एक फटी पहने।'
थैंक्स-थैंक्स' के मधुर शब्द, कानों में घोलो दादाजी।नहीं जानते कुछ भी अपनी, पोल न खोलो दादाजी।जब जाता है कहीं कोई भी, बाय-बाय, टाटा करते।कभी अचानक मिले कोई तो, उसको हाय हैलो कहते।नई सभ्यता सीखो, अपना हृदय टटोलो दादाजी।नहीं जानते कुछ भी, अपनी पोल न खोलो दादाजी।