-दिनेश दर्पण
फल मंडी की
आमसभा में
पपीता था गुर्राया
इतने गुण हैं मुझमें जानो
एक-एक था गिनाया
फुसफुसाकर अनार बोला
मैं क्या किसी से कम हूँ
एक अनार और सौ बीमार हों
करता ताजा दम हूँ-
भौंहें तिरछी कर बेर बोला
मुझमें बड़ी है खूबी
मेरे स्वाद का मजा अनोखा
मुझसी चीज न दूजी
बेर की बात सुन, सेब हँस पड़ा-
बोला फिर बड़बोला
बड़े-बड़े शहरों में प्यारे
है हमारा ही टोला
सबकी बात सुन फिर अंत में
बोला मीठा आम
छोड़ के विवाद एक हो जाओ
यही सयाना काम