महेंद्र सांघी
आँख बंदकर सपना देखा
मधुर मिलन के आलिंगन का
पलक खुली तो देखा लिपटा था
झोंका एक मनभावन रंग का
पिचकारी
मुफ्त पिचकारी का ऑफर पाकर
बच्चे और माँ बाप दौड़े चले आएँ
विक्रेता ने कहा ये लो मुफ्त पिचकारी
बस इसमें भरे पानी की कीमत 10 रुपए चुकाएँ
स्पीड ब्रेकर
आना चाहता हूँ तेरी गली
रंग से भरी बाल्टी लेकर
क्या करूँ मगर तेरा भाई
राह खड़ा है बनकर स्पीड ब्रेकर
ऊँचे लोग
ऊँची पसंद
भूलते जा रहे हैं
होली के रंग