छुटकी ने लिया भैया से
यह वचन अबकी बार
एक दिन का नहीं होगा
राखी का त्योहार
मैं रोज तुम्हें बाँधूँगी
राखी प्यारी-प्यारी
उपहारों से भर जाएगी
मेरी बड़ी अलमारी।
कौन सी राखी उठाऊँ?
लाल, पीली, हरी, नीली
चमकीली और नई
दुकानदार ने सजा रखी
सुंदर राखियाँ कई,
यह वाली या वह वाली
कौन सी राखी उठाऊँ
मन करता है सारी राखियाँ
भैया के लिए ले जाऊँ
दोनों कविताएँ- गिरीश पंड्या