Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हिन्दी कविता : अच्छे दिन...

Advertiesment
हमें फॉलो करें हिन्दी कविता : अच्छे दिन...
webdunia

राकेशधर द्विवेदी

रात अब ढलने लगी
सूर्य कुछ निकलने लगा
स्वप्न कुछ रुपहले लिए
घर-बार फिर सजने लगा।


 
देखकर बदले से तेवर
प्रश्न एक उठने लगा
ऐसा क्या अदभुत हुआ
जो स्वागत गीत बजने लगा।
 
बेटे ने बापू से पूछा
क्या नया समाचार आया है? 
बाप ने प्यारा, पुचकारा फिर दुलारा
धीरे से समझाया।
 
अच्‍छे दिन आने वाले हैं
बात थी, जो बीत गई
स्वप्न था, जो टूट गया
देखने को आतुर बाल मन
जानने को रूठ गया।
 
सब्जी वाले ने आवाज लगाई
टमाटर की दरख्वास्त लगाई
आकर मुझे ले जाइए
जीवन स्वस्‍थ बनाइए।
 
बाल हठ अब जग गया
जिद पर वह अड़ गया
बाप तुम टमाटर खिलाओ
कुछ तो अच्‍छे दिन दिखाओ।
 
बापू ने लंबी सांस भरी
फिर ये आह भरी
टमाटर टनों भारी हैं
अभी ये हवाई जहाज की सवारी हैं।
 
अच्‍छे दिन, दिन के सपने हैं
जो कभी नहीं अपने हैं। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सेहत के 5 चौंकाने वाले तथ्य, जो आप नहीं जानते