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चुलबुली कविता : पांच फुग्गे...

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कृष्ण वल्लभ पौराणिक

पुनी‍त पांचों फुग्गे लेकर
उड़ा रहा था, उनको ऊपर, ऊपर, ऊपर


 
 
गैस से भरे थे वे सब पांचों
लगातार उड़ते वे ऊपर, ऊपर, ऊपर
पुनीत पकड़े था हाथों में
डोर बंधी फुग्गों की कसकर
उड़े जा रहे थे ऊपर, ऊपर, ऊपर ...1
 
फुग्गे पहुंचे और भी ऊपर, ऊपर, ऊपर
एक फुग्गा फूट गया तो
बचे चार ही फुग्गे ऊपर, ऊपर, ऊपर
दु:खी हो गया पुनीत इससे
इक फुग्गे की कमी देखकर
आसमान में, उड़ते ऊपर, ऊपर, ऊपर ...2
 
फुग्गे पहुंचे और भी ऊपर, ऊपर, ऊपर
एक फुग्गा फूट गया तो
बचे तीन ही फुग्गे ऊपर, ऊपर, ऊपर
दु:खी हो गया पुनीत फिर से
दो फुग्गों की कमी देखकर
आसमान में, उड़ते ऊपर, ऊपर, ऊपर ...3
 
फुग्गे पहुंचे और भी ऊपर, ऊपर, ऊपर
एक फुग्गा फूट गया तो
बचे दो फुग्गे ऊपर, ऊपर, ऊपर
दु:खी हो गया पुनीत फिर से
कमी तीन फुग्गों की लखकर
आसमान में, उड़ते ऊपर, ऊपर, ऊपर ...4 
 
फुग्गे पहुंचे और भी ऊपर
एक फुग्गा फूट गया तो
बचा एक ही फुग्गा ऊपर, ऊपर, ऊपर
दु:खी हो गया पुनीत फिर से
कमी चार फुग्गों की लखकर
आसमान में, उड़ते ऊपर, ऊपर, ऊपर ...5 
 
फुग्गा एक बचा था ऊपर, ऊपर, ऊपर
वह फुग्गा भी फूट गया तो
बचा एक ना फुग्गा ऊपर, ऊपर, ऊपर
पुनीत रोया फूट-फूटकर
बोला 'फुग्गे कहां गए हैं?' 
साथी बोले एक साथ में,
'ऊपर, ऊपर, ऊपर', ऊपर ...6
 

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