- डॉ. देशबन्धु शाहजहांपुरी
बिखरी घर-आंगन में खुशियां,
बहनें रोली लेकर आईं।
सजी हुई थाली हाथों में,
अधरों पर मुस्कानें।
मस्तक चंदन तिलक लगाकर,
गाएं प्रेम तराने।
भाई-बहन का प्यार अमर है,
सारा जग ये जाने।
देने शत-शत बार दुआएं,
बहनें रोली लेकर आईं।
जाति-धर्म से दूर पर्व यह,
बस अपनापन झलके।
हर हृदयंतर की गगरी से,
ममता का रस छलके।
प्रीत डोर से बंधते ऐसे,
बंधन अद्भुत बल के।
लेकर नैनों में आशाएं,
बहनें रोली लेकर आईं।
जीवन की हर कठिन डगर पर,
साथ कहीं ना छूटे।
जग सागर में नाव भाई की,
नहीं कभी भी टूटे।
पतझड़ ना हो मन उपवन में,
नित सुख-अंकुर फूटे।
हरदम दूर रहें विपदाएं,
बहनें रोली लेकर आईं।