Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जन्माष्टमी पर कविता : ब्रज दर्शन की रेल...

हमें फॉलो करें जन्माष्टमी पर कविता : ब्रज दर्शन की रेल...
- डॉ. सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
 
चलती ब्रज दर्शन की रेल
राधारानी नाम है इसका
चलती रेलमपेल।
 
यह गोकुल है, लीला जिसमें
करते थे नंदलाला
मटकी फोड़ दही बिखराते
हंसती थी ब्रजबाला
ऐसे ही करते रहते थे
नटखटपट के खेल
चलती ब्रज दर्शन की रेल।
 
जहां विराजी राधारानी
नाम गांव बरसाना
नंदगांव भी यहीं पास
था रहना आना-जाना
ब्रज की धरती प्रेमभरी है
राधा-माधव मेल
चलती ब्रज दर्शन की रेल।
 
कैसे सुंदर हैं ब्रज के वन
लो वृन्दावन आया
ऐसा लगता वेणु बजाता
कान्हा भू पर आया
रंभा-रंभाकर लोट रही हैं
गउएं ठेलमठेल
चलती ब्रज दर्शन की रेल।
 
एक से एक अनोखे देखो
मंदिर वृन्दावन के
रंगबिहारीजी, गोविंदजी
कान्हा ठाकुर सबके
राधा वृन्दावनेश्वरी है
कृष्ण-कन्हैया छैल
चलती ब्रज दर्शन की रेल।
 
छुक-छुक रेल चली आगे को
बहती जमुना मैया
बसी इसी तट पर मथुरा
जन्मे जहां कन्हैया
कंस मार दु:ख दूर किया था
अवतारी के खेल
चलती ब्रज दर्शन की रेल।

साभार - देवपुत्र 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हर पग पर कठिन परीक्षा दी है श्रीकृष्ण ने ...