बाल कविता : थाने का कारकून...
चूहेजी की रपट लिखाने,
बिल्ली पहुंची थाने।
उसने बिल मनमाने।
जब भी जाती उसे पकड़ने,
बिल में घुस जाता है।
दिनभर रहती खड़ी मगर,
वह बाहर न आता है।
कोतवाल ने रपट अभी तक,
लिखी न मेरे भाई।
चूहे के संग मिलीभगत,
मुझको पड़ती दिखलाई।
रोटी के कुछ टुकड़े चूहा,
थाने भिजवाता है।
थाने का हर कारकून,
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