चिड़िया दीदी चूं-चूं करके,
पास हमारे आती है।
मुझको रोज जगाती है।
उठ जाता हूं बोली सुनकर,
मुझको प्यारी लगती है।
बड़े लोग जब पास बुलाते,
उनसे दूर फुदकती है।
कभी-कभी वह मुंह बिचका के,
मुझको बहुत चिढ़ाती है।
प्रतिदिन मेरे आंगन में,
दाना चुगने आती है।
जब मैं रूठ के रोने लगता,
मुझको चुप कराती है।
मैं जब हंसता फुदक-फुदक के,