Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

दिवाली कविता : दीपों से दीप जले

हमें फॉलो करें दिवाली कविता : दीपों से दीप जले

WD Feature Desk

, शनिवार, 26 अक्टूबर 2024 (16:59 IST)
दिवाली खुशियों की लाती बहार है।
लक्ष्मी की पूजा को हम सब तैयार हैं।।
 
फेंक दो वे सब चीजें हुईं जो बेकार हैं। 
नई-नई चीजों से घर का श्रृंगार है।।
 
दीपों से दीप जले फैली चमकार है।
फुलझड़ी पटाखे हैं चकरी-अनार हैं।।
 
ध्यान रखें उनका भी लोग जो बीमार हैं।
कष्ट देता शोर और धुआं धक्कार है।।
 
स्वच्छता दीपावली का सबको उपहार है।
रक्षा करना इसकी अपना संस्कार है।।
 
- पंकज डेहरिया
साभार- देवपुत्र 

ALSO READ: दीपावली पर कविता: दीप जलें उनके मन में

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दीपावली पर कविता: दीप जलें उनके मन में