हे परीक्षा परिणाम
मत सताओ बच्चों को, प्यारे बच्चों के मासूम दिलों से खेलना बंद करो
न जाने कितने मासूम दिलों से तुम खेलते हो, न जाने कितने बच्चों के भविष्य को रौंद चुके हो तुम
न जाने कितने मां-बाप को खून के आंसू रुला चुके हो तुम
तुम्हें किसने यह अधिकार दिया कि तुम एक कागज पर लिखे अंकों के आधार पर
किसी की प्रतिभा का आकलन करो, तुम कौन होते हो यह निर्णय देने वाले कि मार्कशीट के अंक बच्चे की प्रतिभा का प्रतिबिम्ब हैं
क्या बिल गेट्स, सचिन, गांधी की प्रतिभा तुम्हारे अंकों की मोहताज रही है?
क्या नरेन्द्र मोदी को तुमने प्रधानमंत्री लायक बनाया?
क्या शिवराज तुम्हारे अंकों के आधार पर कामयाबी के शिखर तक पहुंचे?
क्या न्यूटन और आइंस्टीन को तुमने वैज्ञानिक बनाया?
नहीं, ये सभी प्रतिभाएं तुम्हारी अंकों की लंगड़ी गाड़ी में नहीं चढ़ी
ये सभी कड़ी मेहनत एवं लगन से शिखरों तक पहुंची हैं
क्या तुम उस मासूम के करीब से गुजरे हो जिसके अंक तुमने सिर्फ इसलिए काटे हैं
कि उसने रटकर तुम्हारा उत्तर नहीं दिया?
क्या तुमने उन मां-बाप के चेहरों की उदासी देखी है जिनके बच्चे तुम्हारी दी हुई लक्ष्मण रेखा पार नहीं कर सके?
हे परीक्षा परिणाम
हो सके तो उन सभी बच्चों के टूटे हुए दिलों में झांकना
जो कक्षा में प्रथम स्थानों पर नहीं आ सके
हो सके तो उन सभी मां-बाप के बिखरते सपनों को
महसूस करना जिनके बच्चे IIT, IIM एवं मेडिकल में नहीं जा सके
क्या ये सब प्रतिभाहीन हैं? क्या इनका कोई भविष्य नहीं है?
तुमने तो एक कागज के टुकड़े पर अंक लिखकर
इनको प्रतिभाहीन प्रमाणित कर दिया
तुमने इनकी कॉपियों को लाल, हरा, काला कर
इनके भविष्य पर अंकों का ताला लगा दिया
हे परीक्षा परिणाम तुम देखना
यही बच्चे तुम्हें झूठा साबित करेंगे
ये तुम्हारे अंकों के कागज को रद्दी की टोकरी में फेंककर
बनेंगे बिल गेट्स, गांधी, सचिन, नरेन्द्र मोदी और अब्दुल कलाम
यही बच्चे बनेंगे इंदिरा, कल्पना, सानिया और साइना
यही बच्चे साबित करेंगे कि तुम्हारा आकलन सिर्फ कागज पर लिखे
कुछ अंकों के अलावा कुछ नहीं है
इसलिए हे परीक्षा परिणाम सुधर जाओ और मत डराओ इन मासूम बच्चों को।