Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

ग्लोबल वॉर्मिंग पर कविता : गरमाती धरती

हमें फॉलो करें ग्लोबल वॉर्मिंग पर कविता : गरमाती धरती
- राजेन्द्र निशेश
 

 
ग्लोबल वॉर्मिंग से गरमाती धरती,
ग्लेशियर पिघल रहे, घबराती धरती।
 
वायुमंडल हो रहा सारा ही दूषित, 
उथल-पुथल है भीतर बतलाती धरती।
 
ग्रीन हाउस गैसों से बढ़ रहा खतरा,
सभी की चाहत है मुस्कुराती धरती।
 
कहीं बाढ़, कहीं सूखा, रंग दिखलाता,
खून के आंसू भीतर बहाती धरती।
 
सुनामी का तांडव कहीं लील न जाए,
बचा लो तटों को, पाठ पढ़ाती धरती।
 
अंधाधुंध न काटो, बढ़ाओ वृक्षों को,
पर्यावरण बचा लो समझाती धरती।
 
साभार - देवपुत्र 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जल्द वजन कम होगा, केले के छिलकों से...