मीठे-मीठे आम रसीले,
पापा 5 किलो ले आए।
थैले पर मीना झपटी है,
टीना ने खींचे दो आम।
मल्लू ने जब डांट लगाई,
दोनों की कस गई लगाम।
धमा-चौकड़ी उधम सुनकर,
दादाजी भी दौड़े आए।
दादी भी शौकीन बहुत है,
बोली आम हमें भी देना।
मम्मी-पापा के संग मिलकर,
बच्चों तुम सब मत खा लेना।
जब हम, तुम जितने छोटे थे,
सौ-सौ आम अकेले खाए।
दादा-दादी वाले युग में,
आम बहुत सस्ते होते थे।
एक रुपए में तीन सैकड़ा,
दादा लाकर धर देते थे।
जिसको जितने लगे उठाकर,
उसने बिना झिझक के खाए।