पापा दो पिचकारी लाना,
लाना लाल गुलाल।
रंग-बिरंगे खुद हो जाएंगे,
औरों को करेंगे लाल।
गांव-गली में घूम-घूमकर,
जम के उधम मचाएंगे।
गुझिया-पूड़ी-पकौड़ी भी,
यारों के संग मिल खाएंगे।
हंसी-खुशी से मनेगा अपना,
होली का प्यारा त्योहार।
रंग-बिरंगे खुद हो जाएंगे,
औरों को करेंगे लाल।
न कोई नशेड़ी घर आएगा,
न नशेबाज घर जाएंगे।
न पिचकारी मारेंगे उस पर,
न माथ गुलाल लगाएंगे।
नशामुक्त हो रंग के खेलेंगे,
औरों को सबक सिखाएंगे।
तभी मनोरथ सिद्ध होएंगे,
मिलेगी खुशियां अपरंपार।
रंग-बिरंगे खुद हो जाएंगे,