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चुलबुली कविता : मीनू और फोन

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कृष्ण वल्लभ पौराणिक

घंटी बजती जब भी फोन की
मीनू दौड़ी जाती
तुरत उठाती चोंगा कर में
हेलो! कर चिल्लाती ...1
'आप कौन है? कहां लगाया?
नाम बताओ अपना
अच्‍छा-अच्‍छा आप कह रहे
कहिए क्या है कहना ...2
 
अभी बुलाती हूं पापा को
दाढ़ी बना रहे हैं
कृपया इसको चालू रखना
उनको बुला रहे हैं ...3
 
मीनू बोली फिर से 'हैलो!
करो बात पापा से'
दाल भात में मूसरचंद बन
बोल रही काका से ...4 
 
'अरे! आप तो नहीं बोलते
चुप्पी क्यों साधी है
खड़े हुए हैं पापा, काका
यह तो मनमानी है' ...5

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