- महेश साकल्ये चिड़िया फुर्र-फुर्र उड़ती है, हाथ लगाओ डरती है। चीं-चीं करती जाती है, हाथ किसी के ना आती है। सबको प्यारी लगती है, पंछियों में न्यारी लगती है। चोंच से दाने चुगती है, बड़ी सुंदर, मोहक लगती है।