Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बाल कविता : दादी बोली

हमें फॉलो करें बाल कविता : दादी बोली
webdunia

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

जितनी ज्यादा बूढ़ी दादी,
दादा उससे ज्यादा।


 

 
दादी कहती 'मैं' शहजादी,
और दादा शहजादा।
 
दादी का यह गणित नातियों,
पोतों को ना भाता।
बूढ़े लोगों को क्यों मानें,
शहजादी-शहजादा।
 
दादी बोली, अरे बुढ़ापा,
नहीं उमर से आता।
जिनका तन-मन निर्मल होता,
वही युवा कहलाता।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बालगीत : जादू की पुड़िया