मजेदार कविता : गणेशजी के वाहन हैं यह
सरपट-सरपट
दौड़ लगाते
चूहे निकले
दुम लहराते
सटक सटककर ...2
धूम मचाते
बिस्तर ऊपर ...3
दांत चलाते
कुतर-कुतरकर ...4
जो भी होता
खाते जमकर ...5
जमे हुओं को
उछल कूदकर ...6
अर्द्धरात्रि में
खेल खेलते
सोते लोगों
के भी ऊपर ...7
कहीं खुली हो
उसे चाटकर ...8
लड्डू खाते
चुरा-चुराकर ...9
अपने बिल को
बना-बनाकर ...10
बिल्ली आती है
दबे पांव से
वे छुप जाते
बिल के अंदर ...11
बिल्ली खाती
उसे मारकर ...12
यहां-वहां ये
दौड़-भागकर ...13
चूहे अपनी
जाति बढ़ाकर ...14
चूहे खातिर
रखो पालकर ...15
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