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बच्चों की कविता : खरगोश

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डॉ. विष्णु शास्त्री‍ 'सरल'
 
प्यारा-प्यारा दिखता न्यारा
छोटा-सा खरगोश है,
उछल-उछलकर चलता है यह
अद्भुत इसमें जोश है।
 
रंग सफेद रुई या हिम-सा
कोमल इसके बाल हैं,
उषा-किरण सी कुछ चमकीली
आंखें इसकी लाल हैं।
 
कान कुछ बड़े, पूंछ है छोटी
बिजली जैसी चाल है,
दौड़ लगाने में यह अक्सर
करता बहुत कमाल है।
 
इसको छू लें तो लगता है
छू ली क्या नवनीत है,
कुत्ते-बिल्ली से हर पल ही
रहता यह भयभीत है।
 
जीव जंगली और पालतू
भी होता खरगोश है,
छोटे कोमल तिनके खाता
रहता यह खामोश है।
 
साभार - देवपुत्र

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