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बाल कविता : वे तुमसे पूछेंगे?

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राकेशधर द्विवेदी

वे तुमसे पूछेंगे, तुम क्या उन्हें बताओगे
गोरैया का फुदकना, मैना का चहकना
बुलबुल का चुलबुलापन, कैसे उसे सुनाओगे? 

वे तुमसे पूछेंगे, तुम क्या उन्हें दिखाओ‍ेगे
चीते की दहाड़, बाज के नजरों की धार
नदियों की कलकल, तितलियों के पीछे दौड़ता ब‍चपन
क्या तुम उन्हें सौंप पाओगे? 
जो तुम्हारे बुजुर्गों ने, तुम्हें है सौंपा
क्या तुम उसे सहेज पाओगे, वे तुमसे पूछेंगे? 
 
क्या तुम उन्हें बताओगे, पहाड़-पर्वत की महानता, पठार की कठोरता,
मिट्टी की सौंधी महक में उपजी, खिलती गांवों की सहजता-सरलता, 
उन्हें क्या तुम अपने बच्चों को सुरक्षित दे पाओगे?
या फिर तुम उन्हें प्रकृति के विनाश के चित्र दिखाओगे? 
 
ये प्रश्न स्वयं से पूछो, वे तुमसे पूछेंगे
तुम क्या उन्हें दिखाओगे?

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