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बाल गीत : जीत के परचम...
मन को लुभा रहे हैं,
ये फूल गुलमोहर के।
ये लाल-लाल लुच-लुच,
डालों पे डोलते हैं।
कुछ ध्यान से सुनो तो,
शायद ये बोलते हैं।
सब लोग इन्हें देखें,
रुक-रुक, ठहर-ठहर के।
चुन्ना ने एक अंगुली,
उस ओर है उठाई।
देखा जो गुलमोहर तो,
चिन्नी भी खिलखिलाई।
मस्ती में धूल चूमें,
नीचे बिखर-बिखर के।
हंसते हैं मुस्कुराते,
ये सूर्य को चिढ़ाते।
आनंद का अंगूठा,
ये धूप को दिखाते।
हैं जीत के ये परचम,
उड़ते फहर-फहर के।
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