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बाल गीत : हम भी चलते रहें निरंतर

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

, सोमवार, 13 मई 2024 (15:23 IST)
आज गए थे पिकनिक में हम,
नदी व्यारमा तीरे।
नदी किनारे घूम रहे थे,
हम सब धीरे-धीरे।
 
नीले रंग की नदी फुदकती,
पत्थर चट्टानों में।
और फुसफुसाकर कहती थी ,
वह तट के कानों में।
'मेरे भीतर छुपे हुए हैं,
ढूंढो आकर हीरे'।
 
शांत किनारों पर पेड़ों की,
जल में थी परछाईं।
खेल रहे थे डाली पत्ते,
जैसे चाईं-माईं।
एक तरफ थे पड़े रेत के,
ढेरम-ढेर जखीरे।
 
सर-सर-सर-सर बहता पानी,
सबसे कहता जाता।
अविरल चलने वाला ही तो,
मंजिल तक जा पाता।
हम भी चलते रहें निरंतर,
बाधाओं को चीरे।

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