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काले धन पर कविता : अच्छे दिन

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

कछुआ भैया थे कतार में,
थी कतार यह लंबी।
समय काटना था तो सिर में,
लगे फेरने कंघी।
 

 
किसी तरह भी दस घंटे में,
रुपए निकला पाए।
बैंक छोड़कर बाहर आए,
बिलकुल न झल्लाए।
 
बोले कालेधन को कैसे,
भी बाहर लाना है।
आज हो रही दिक्कत पर अब,
अच्छे दिन आना है।

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