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बाल गीत : एक नया प्रण, एक नया व्रत

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

पहले तो गांधी ने बोला,
भारत स्वच्छ बनाओ।
उठो, हाथ में झाड़ू लेकर,
कचरा अभी हटाओ।
 

 

 
कुछ ने बात सुनी बापू की,
कुछ ने बात उड़ाई।
और समय के साथ सफाई,
रह गई हवा-हवाई।
 
रहे बीतते बरस-दर-बरस,
कूड़ा-कचरा फैला।
होता रहा देश का हर दिन, 
कतरा-कतरा मैला।
 
सरकारों की आंख बंद थी,
था समाज भी सोया।
पता नहीं चल पाया हमको,
हमने क्या-क्या खोया।
 
गंदी नदियां, गंदे नाले,
गंदे सड़क किनारे।
रिश्ते-नाते, मैले-कुचेले,
टूटे भाईचारे।
 
बीमारी ने दस्तक देकर,
घर-घर हमें रुलाया।
सिर पर चढ़कर लगा बोलने,
बीमारी का साया।
 
तभी हवा का ठंडा झोंका,
एक ओर से आया।
भारत स्वच्छ करेंगे उसने,
नारा एक लगाया।
 
झाड़ू अपने लिए हाथ में,
कर दी शुरू सफाई।
देने लगे प्रेरणा सबको,
झाड़ू उन्हें थमाई।
 
एक नया व्रत, एक नया प्रण,
सबको अब लेना है।
भारत स्वच्छ बनाकर ही अब,
हमको दम लेना है।

 

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