थपकी देकर हाथ थक गए,
लजा-लजाकर लोरी हारी।
थककर सो गई नींद बिचारी।
वृंदावन के कृष्ण-कन्हैया,
देखो कब के सो गए भैया।
पर तुम अब तक जाग रहे हो,
किए जा रहे ता-ता-थैया।
कौशल्या ने अवधपुरी में,
राम-लखन को सुला दिया है।
गणपति को मां पार्वती ने,
निद्रा का सुख दिला दिया है।
हनुमान को अंजनी मां ने,
शुभ्र शयन पर अभी लिटाया।
तुरत-फुरत सोए बजरंगी,
मां को बिलकुल नहीं सताया।
सुबह तुझे मैं लड्डू दूंगी,
बेसन की बर्फी खिलवाऊं।
पर झटपट तू सो जा बेटा,
तू सोए तो मैं सो पाऊं।
अगर नहीं तू अब भी सोया,
तो मैं गुस्सा हो जाऊंगी।
और इसी गुस्से में अगले,
दो दिन खाना न खाऊंगी।
इतना सुनकर लल्ला भैया,
मंद-मंद मन में मुस्काए।
धीरे से अपनी आंखों पर,