मई-जून की घूब घुमाई-
लो, फिर से आ गई जुलाई।
खुलने को है अपनी शाला,
रंग जमेगा शिक्षा वाला,
कानों में स्वर पड़े सुनाई।
नए दोस्तों से मिलना है,
फूलों के जैसा खिलना है,
शिक्षक आए, राम दुहाई।
पढ़ने-लिखने से क्या डरना,
काम समय पर अपना करना,
आएगी फिर नहीं रुलाई।
डाल हाथ में हाथ बढ़ेंगे,
जीवन का वह लक्ष्य पढ़ेंगे,
छोड़-छाड़ प्रत्येक बुराई।