उनको झोला झंडी क्या,
गरमी सर्दी ठंडी क्या।
बिन पैरों के सफर करें,
सड़क और पगडंडी क्या।
सब धर्मों को माने वे,
अल्लाह ईसा चंडी क्या।
नहीं किसी से डरते हैं,
अर्जुन और शिखंडी क्या।
वस्त्रों का कोई शौक नहीं,
क्या जाकिट क्या बंडी क्या।
उनको खुले हुए सब घर,
दरवाजा क्या कुंडी क्या।
सब ऋषियों से ऊपर है,
नारद काकभुशुंडी क्या।
जरा देह का मोह नहीं,
हाथ पैर क्या मुंडी क्या।
गरम खून के 'मच्छर', वे,
मुस्तन्डे मुस्तन्डी क्या।
सारी धरती उनका घर,
क्या जंगल क्या मंडी क्या।
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