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बच्चों की कविता : रेल यात्रा...

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

यदि रेल से बच्चों तुमको,
किसी जगह पर जाना हो।
आधा घंटे पहले घर से,
होकर तैयार रवाना हो।


 
स्टेशन पर जाकर तुमको,
रेल टिकट लेना होगी।
मांगो खिड़की पर बाबू से,
तुम्हें जिस जगह जाना हो।
 
पैसों और टिकट को रखना,
किन्हीं सुरक्षित जेबों में,
ध्यान सदा जेबों पर रखना,
जेबें अगर बचाना हो।
 
भीड़ बहुत होती रेलों में,
कम से कम सामान रखो,
ताकि जल्दी से डिब्बे में,
किसी तरह चढ़ जाना हो।
 
हो सकता है तुरत-फुरत ही,
तुमको जगह न मिल पाए।
हो सकता है जाना तुमको,
खड़े-खड़े पड़ जाना हो।
 
अगर कहीं गुंजाइश दिखती,
कि तुम जाकर बैठ सको।
हो सकता कोई मिल जाए,
जो जाना-पहचाना हो।
 
प्राय: नम्र निवेदन से तो,
लोग जगह दे देते हैं।
किंतु याद रखना होगा,
व्यवहार सदा दोस्ताना हो।
 
यदि राह में कोई मुसाफिर,
कुछ खाने को देता है।
मत खाना यदि देने वाला,
बिलकुल ही अनजान हो।
 
चलती गाड़ी से बच्चों,
मत कभी उतरना जल्दी में।
भले सामने तुमको दिखता,
अपना ठौर-ठिकाना हो।
 
स्टेशन की चाट-पकौड़ी,
कभी भूल से खाना मत।
लेना भोजन बिलकुल सादा,
यदि भूख लगे कुछ खाना हो।

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