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मजेदार चटपटी कविता : चूहा है कुस्तुन्तुनियां का

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

-  प्रभुदयाल श्रीवास्तव
 
चूहा है कुस्तुन्तुनियां का, 
बिल्ली टिम्बकटू की है।
हमला तो करती चूहे पर, 
बार-बार पर चूकी है।
 
कड़कड़डूमा के चूहे ने, 
भी तो उसे सताया है।
लाख झपट्टे मारे उस पर, 
कभी पकड़ न आया है।
 
कड़कड़डूमा वाला चूहा, 
जब भी रोटी खाता है।
दरवाजे पर कुस्तुन्तुनियां, 
का चूहा अड़ जाता है।
 
जैसे ही बिल्ली आती वह, 
खुद सतर्क हो जाता है।
कड़कड़डूमा के चूहे को, 
तुरत खबर भिजवाता है।
 
अपनी-अपनी पारी में वे, 
माल कुतरते रहते हैं।
बिल्ली को चकमा देते हैं, 
उससे बचते रहते हैं।
 
अब बिल्ली पर इन दोनों की, 
परम मित्रता भारी है।
वह बेचारी भूख मिटाने, 
फिरती मारी-मारी है।
 
सदा एकता में बल होता, 
होती फूट दुखों का घर।
पता नहीं क्यों समझ न पाते, 
धरती के पांखी पशु नर।

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