Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

मजेदार बाल कविता : दादाजी की बड़ी दवात...

Advertiesment
हमें फॉलो करें मजेदार बाल कविता : दादाजी की बड़ी दवात...
webdunia

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

भरी लबालब स्याही से है, 
दादाजी की बड़ी दवात।
 
उसमें कलम डुबाकर दादाजी,
कागज पर लिखते हैं।
लगता चांदी की थाली में, 
नीलम जड़े चमकते हैं।
 
या लगता है स्वच्छ रेत पर, 
बैठी नीलकंठ की पांत।
 
अच्छे-अच्छे बड़े कीमती, 
पापा पेन उन्हें देते।
पर दादाजी धुन के पक्के, 
नहीं एक भी हैं लेते।
 
कलम-दवात नहीं छोडूंगा, 
कहते बचपन का है साथ।
 
बच्चे मुंह बिदककर हंसते, 
दादाजी जब लिखते हैं।
स्याही भरी दवात-कलम अब, 
उन्हें अजूबा लगते हैं।
 
कहते पुरा-पुरातन हैं ये, 
छोड़ो इन चीजों का साथ।
 
दादाजी को यही पुरानी, 
चीजें बहुत सुहाती हैं।
हमें सभ्यता संस्कार से, 
वे कहते, जुड़वाती हैं।
 
कलम डुबाकर लिखने से ही, 
होता है सुख का अहसास।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कपूर के तेल के 5 फायदे और बनाने की विधि